दुनिया मे हर संत ढोंगी नही होता हर इंसान गुनाहगार नही होता ईशलिये किसी भी व्यक्ति को सजा देने से पहले आचछी तरह परख करना चाहिए किसी बेगुनाह को कोई नुकसान नही पहुंचाना चाहिऐ जो सच मे संत है वो भगवान् के स्वरूप है अगर ऊनको हम अच्छा नही बोल सकते तो बुरा नही बोलना चाहिए संतो की सेवा करने के लिए तो आदि काल से परंपरा चली आरही है